कैंसर दहशत नहीं – डॉ. स्वपनिल

क्या कैंसर एक दहशत है, मौत की आहट है या फ़िर ज़िन्दगी के आख़िरी दौर की शुरुवात ? ये सवाल अमूमन एक आम आदमी के दिमाग में उभरता है, बात यदि कैंसर की हो रही हो । लेकिन साइंस की तरक्की ने इनमें से कई सवालों को बीते दिनों की बात बना दिया है , यदि रोगी ने कैंसर के तीसरे स्टेज को पार नहीं किया है तो । मुंबई के नामचीन कैंसर सर्जन डॉ. स्वपनिल कपोटे कहते हैं कि हिन्दुस्तान का मेडिकल साइंस विकसित देशों की बराबरी  बल्कि कई मामलों में उनसे आगे निकल चुका है और कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज़ में अपनी बेहतरीन भूमिकाएं निभा रहा है । कैंसर के मद्देनज़र कई भ्रमों को दूर करते और आम आदमी में उम्मीद का दिया जलाते डॉ. स्वपनिल कपोटे से ‘इस वक़्त’ के मुंबई के ब्यूरो चीफ़ कमलेश युवा की ख़ास बातचीत  …..

सवाल 1:- सबसे पहले आप अपने बाते में हमारे पाठकों को बताएं कि आप का अब तक का डॉक्टरी का सफ़र किन-किन मुक़ाम से होकर गुज़रा ? 

जवाब:- मुंबई के फेमस KEM (King Edward Memorial) मेडिकल इंस्टिट्यूट और हॉस्पिटल मैंने M.B.B.S की पढ़ाई पुरी की ।इसके बाद मैंने मास्टर ऑफ़ सर्जरी (M.S.) मैंने गुजरात के जामनगर के government hospital से किया । इसके बाद मैंने, मुंबई स्थित विश्व प्रसिद्द, टाटा कैंसर हॉस्पिटल में तक़रीबन साढ़े तीन साल ट्रेनिंग लिया , कैंसर सर्जरी से सम्बंधित । 2011 में मैं ट्रेनिंग पूरी कर, मुंबई में ही, प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा था । पिछले 2 सालों से , थाणे के प्रसिद्द, ज्यूपिटर (Jupiter) Hospital में फूल टाइम कैंसर सर्जन के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा हूँ ।
सवाल 2:- कैंसर क्या है और क्यों और कैसे होता है ? 
जवाब:- कैंसर, बेसिकली, अपनी बॉडी के कुछ ऐसे सेल्स जो, एबनॉर्मली ग्रो करने लगते हैं, बढ़ने लगते हैं और किसी भी प्रकार से डेड नहीं होते हैं इसी को कैंसर कहते हैं आम भाषा में । दरअसल हरेक की बॉडी में कुछ ऐसे सेल होते हैं जो बॉडी के लिए हानिकारक होते हैं , लेकिन शरीर की प्रक्रिया ऐसी होता है कि ये सेल्स मार दिए जाते हैं और बॉडी सेफ़ रहती है । लेकिन कई बार ये सेल्स मरते नहीं और फैलने लगते हैं , जो कैंसर कहलाते हैं । मेडिकल भाषा में इसे Abnormal Growth of सेल कहते हैं । ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है ।

सवाल 3 :- कैंसर किसी को भी हो सकता है क्या और ऐसा है तो इसके लक्षण क्या होते हैं ?

जवाब :- इस सवाल का जवाब थोड़ा पेचीदा है । दरअसल कैंसर के कुछ प्रकार …. जैसे कि माउथ कैंसर या लंग्स कैंसर तम्बाकू-शराब-सिगरेट-गुटखा जैसी चीज़ों के सेवन से हो सकता है , ये बात, अमूमन सबको पता होती है । इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात और , कि  ….. सबकी बॉडी में कैंसर के सेल बनते रहते हैं, लेकिन जैसे कि मैंने पहले कहा कि, ये बॉडी के सिक्योरिटी सिस्टम के चलते मरते रहते हैं और बॉडी सुरक्षित रहती है । लेकिन किसी-किसी की बॉडी में ये सेक्युरिटी सिस्टम फेल हो जाता है , तो वो, कैंसर में बदल जाता है । अब ये सेक्यरिटी सिस्टम फेल कैसे हो जाता है , इसका पता लगना अभी बाकी है । जहां तक लक्षण का सवाल है तो ये अलग-अलग कैंसर के लिए अलग-अलग तरीक़े का होता है ।
सवाल 4:- टी.बी. की तरह इसे संक्रमण या छूआ-छूत की बीमारी वाला रोग भी माना जा सकता है ?
जवाब:- नहीं, दोनों में फ़र्क़ है । कैंसर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैलने वाला रोग नहीं है । ये संक्रमण वाला रोग नहीं है । ये तो बॉडी के अंदर के सेल्स के अबनॉर्मली ग्रो होने के चलते होती है , इसका एक्सटर्नल इंफेक्शन से कोई लेना देना नहीं । जबकि टी.बी. एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है , जो इन्फेक्शनली ट्रांसमीट होता है ।
सवाल 5:- कैंसर के कितने प्रकार होते हैं और अलग-अलग स्टेजेज़ क्या होते हैं ? 
जवाब:- देखिये, कैंसर एक शब्द है, जो अबनॉर्मल ग्रोथ ऑफ़ सेल्स के लिए बनाया गया है और ये बॉडी के किसी भी हिस्से में हो सकता है । इसलिए इसे डिवीज़न करना या क्लासिफ़ाइ करना बहुत मुश्क़िल होता है । महत्वपूर्ण होता है इसके स्टेज़ेस । इसमें टोटल 4 स्टेज़ेस होते हैं । यहां स्टेज़ेस का मतलब होता है, कि ये बॉडी में कितना फैला है। शुरुवाती फैलाव है —- स्टेज 1, इसके बाद 2, इसके बाद 3 और …..  आख़िरी, जो कि एक विशेष स्थान से निकल कर दूसरे स्थान पर भी फ़ैलने लगता है, स्टेज 4 कहलाता है ।
 सवाल 6:- कैंसर का इलाज़ किस हद तक मुमकिन है और कितना क़ारगर है, थोड़ा विस्तार से बताएं ? 
जवाब:- बहुत ही बढ़िया सवाल किया है, आपने । कैंसर को लेकर लोगों में भ्रम बहुत है । जिसको, मैं, दूर कर दूँ ।देखिये, आज का जो मेडिकल साइंस एडवांसमेंट है, उसके मुताबिक़ 3rd स्टेज तक का कैंसर 100% ठीक हो सकता है । लेकिन आख़िरी, यानि, चौथे स्टेज का कैंसर ठीक होना मुश्क़िल है या यूँ कहें कि ठीक नहीं हो सकतालेकिन किसी को भी तीसरे स्टेज तक का भी कैंसर है तो व ठीक हो सकता है, बिलकुल ठीक हो सकता है और इंसान अपनी नॉर्मल लाइफ दुबारा जी सकता है उसी हंसी-खुशी के साथ ।
सवाल 7:- भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में कैंसर के विषय में अब तक किस-किस तरह के शोध हो चुके हैं और क्या नयी जानकारी सामने आयी है ?
जवाब:- शोध का जहां तक सवाल है, तो पूरी दुनिया में इस पर बहुत गहन शोध हो रहा है । काफ़ी सफलताएं भी मिली हैं । मसलन अब रोबोटिक सर्जरी आ गयी है जो कि बहुत ही मददगार है । इसके अलावा कुछ ऐसी दवाएं भी ईज़ाद हुई हैं, जो, एडवांस स्टेज के कैंसर को भी क़ाबू में रखने में आशिक़ तौर पर सफ़ल रही हैं । पूरी तरह तो नहीं , लेकिन, जिस तरह से डायबिटीज़ की दवा खाकर इसे क़ाबू में रखा जाता है उसी तरह से कैंसर के मद्देनज़र भी दवाएं उपलब्ध होंगी ।  ऐसे ही कई अन्य रिसर्च भी हो रहे हैं, और, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाएंगे  …..  इस दिशा में काफ़ी उम्मीदें होंगी आने वाले वक़्त में।
सवाल 8:- पैसे वाले लोग कैंसर के इलाज़ के लिए विकसित देशों का रुख़  करते हैं , हमारे देश में इसका इलाज़ सही ढंग से नहीं हो पाता है क्या ? 
जवाब:- आपको ये जानकार अच्छा लगेगा कि इंडिया में कैंसर का वर्ल्ड-क्लास ट्रीटमेंट, बेहद काम ख़र्चे में, होता है , क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या ज़्यादा है, इस लिहाज़ से यहां के डॉक्टर्स का सामना ज़्यादा लोगों से पड़ता है, जिसके चलते यहां के डॉक्टर्स की जानकारी का स्तर बहुत ऊपर होता है । आप रोज़ कई रोगियों को डायग्नोसिस करंगे तो स्वाभाविक है, आपकी समझ का दायरा बढ़ेगा । जहां तक मेरी अपनी समझ है, उस लिहाज़ से…..  पैसे वाले लोगों का बाहर जाने का मामला ,गोपनीयता का विषय हो सकता है, ताकी उनके इलाज़ या रोग से सम्बंधित ख़बरें बाहर न आने पाएं और रोगी पर पड़ने वाला मनोवैज्ञानिक दबाव भी काफ़ी हद तक कम हो जाए ।
सवाल 9:- भारत में कैंसर को लेकर भारत सरकार या निजी क्षेत्र द्वारा कौन-कौन से ऐसे संस्थान हैं, जो कैंसर का वर्ल्ड-क्लास ट्रीटमेंट कर रहे हैं ? 
जवाब:- पूरे इंडिया का तो मालूम नहीं लेकिन मुंबई का टाटा कैंसर हॉस्पिटल पूरे एशिया का सबसे शानदार कैंसर-ट्रीटमेंट देने वाला अस्पताल है । इसके अलावा थाणे का ज्यूपिटर हॉस्पिटल भी काफ़ी दमदार है, जहां वर्ल्ड-क्लास की सुविधाएं मौजूद हैं ।
सवाल 10:- कैंसर के प्राकृतिक या आयुर्वेदिक उपचार भी बताए जाते हैं, क्या ये सही मायने में क़ारगर होते हैं ?
जवाब:- हमने, अभी तक, आयुर्वेदिक या प्राकृतिक तरीक़े से कभी किसी को कैंसर से ठीक होते नहीं देखा है । हालांकि मेरी जानकारी इस सम्बन्ध में बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन जो भी जानकारी है उसमें कोई ऐसा पेशेंट सामने नहीं आया जो इस तरह के इलाजों से ठीक हो सका है ।
सवाल 11:- कैंसर का रोगी ठीक होने के बाद सामान्य लोगों की तरह जीवन जी सकता है या फ़िर कड़ी पाबंदियों के बीच उसे जीवन जीना पड़ता है ? 
जवाब:- जी हाँ । कैंसर का रोगी , पूरी तरह से ठीक होने के बाद अपनी नॉर्मल लाइफ़ जी सकता है, जैसे कि एक आम स्वस्थ इंसान जीता है । हाँ, आपकी कैंसर से सम्बंधित जो आदतें , जैसे की….. स्मोकिंग-तम्बाकू-गुटखा-शराब इत्यादि… इन्हें पूरी तरह से छोड़ना पड़ेगा ।
सवाल 12:- भारत में कौन-कौन से ऐसे रोग हैं, जो लगातार अपना विस्तार कर रहे हैं और क्यों ?
जवाब:- तीन बीमारियाँ हैं ,इंडिया में, जो सबसे ज़्यादा और तेज़ी से विस्तार कर रही हैं । पहली है — कैंसर । दूसरी है — हार्ट अटैक और डायबिटीज़ , जो कि क़रीब-क़रीब एक साथ चलते हैं । तीसरी — डिप्रेशन । इन तीनों के बारे में, व्यापक स्तर पर, जागरुकता बहुत ज़रुरी है ।
सवाल 13 :- भारत में मेडिकल साइंस का कितना विकास हुआ है और कितने की ज़रुरत अभी और है ?  
जवाब:- आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि इंडिया में, मेडिकल लाइन में,जो प्राइवेट या कॉरपोरेट सेक्टर हैं उनका स्टैण्डर्ड विकसित और उन्नत देशों से टक्कर लेता है या कई मायनों में उनसे भी आगे है । जो लोग भरम में जीते हैं , विदेशी डॉक्टर्स या हॉस्पिटल्स को बेहतरीन मानने वालों के लिए ये ख़बर चौकाने वाली हो सकती है । लेकिन विरोधाभास ये है कि इंडिया में ज़्यादातर लोग लोअर मिडिल क्लास से रहते हैं, लिहाज़ा प्राइवेट या  कॉरपोरेट सेक्टर के हॉस्पिटल्स में इलाज़ करवा पाना इनके लिए मुमक़िन नहीं हो पाता । क्योंकि कॉस्ट या महंगाई तो हर तरफ़ बढ़ रही है , ऐसे में आप ये उम्मीद करें कि स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट या वर्ल्ड-क्लास ट्रीटमेंट देने वाले प्राइवेट या  कॉरपोरेट सेक्टर के संस्थानों में इसका असर न पड़े, तो ये कैसे मुमक़िन होगा ? रहा सवाल गवर्नमेंट सेक्टर का तो वहाँ पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है ।
सवाल 14:- बतौर डॉक्टर और कैंसर स्पेशलिस्ट, लोगों को, हेल्थ सम्बंधित आप क्या सन्देश देना चाहते हैं, जिससे लोग घातक बीमारियों से बच सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें ? 
जवाब:- बतौर डॉक्टर मैं लोगों को यही सलाह दूंगा कि लोग स्वास्थ्य को लेकर जागरुक रहें, क्योंकि अंगरेजी में एक कहावत है कि Health is Wealth — मतलब –स्वास्थ्य ही धन है । ईश्वर की तरफ़ से दिए गए इस स्वस्थ शरीर को हमेशा स्वस्थ रखने की कोशिश करें । धूम्रपान-तम्बाकू या ऐसी चीज़ों से बचें जो कैंसर या अन्य कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनती हैं । साथ ही अपनी हेल्थ-इंश्योरेंस ज़रुर  करवाएं, ताकि, कोई ट्रीटमेंट अगर महंगा भी हो तो आप की जेब इसके लिए छोटी न लगे । स्वस्थ रहें, ख़ुश रहें और खुशियाँ बांटे ।

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