कॉंग्रेस अध्यक्ष – कौन कौन ?

भारत में राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो कॉंग्रेस को सबसे पुरानी पार्टी होने का ख़िताब हासिल है । एक अंग्रेज प्रशासक, A.O. Hume यानि अल्लन ऑक्टेवियन ह्यूम द्वारा 1885 में स्थापित कॉंग्रेस पार्टी का शुरुवाती इतिहास देखें तो ये पार्टी कोई ऐसी पॉलीटिकल पार्टी के तौर पर नहीं जानी जाती थी जो सत्ता पाने के लिए चुनाव लड़ना या सत्ता न मिलने पर विपक्ष में बैठने का रोल अदा करती हो । क्योंकि उस वक़्त हिन्दुस्तान अंग्रेजों का गुलाम था और सत्ता में भारतीयों की कोई भागीदारी लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आधारित नहीं थी । गुलामी के उस दौर में भारतीयों के लिए, कॉंग्रेस का मतलब एक मूवमेंट था, आंदोलन था जो भारतीयों की आज़ादी के लिए, अंग्रेजों के ख़िलाफ़, सड़कों पर हो रहे संघर्षों का नेतृत्व करता था । यानि 1947 तक कॉंग्रेस की पहचान आम जनता के आवाज़ थी, न कि सत्ता की दावेदारी वास्ते चुनाव लड़ने वाली एक ख़ालिस सियासी पार्टी ।

 

1947 में देश आज़ाद हुआ और कॉंग्रेस का रुप तब्दील हो गया, बतौर एक विशुद्ध राजनीतिक दल के । और …. जैसा कि, सत्ता की भागीदारी के लिए एक ख़ालिस राजनीतिक दल की प्रक्रिया होती है, कॉंग्रेस भी उसी राह चल पड़ी । हालाँकि इस पार्टी की बागडोर ज़्यादातर नेहरु गांधी के वंशजों के हाथ में ही रही और ये पार्टी , आज तक, पूरी तरह से नेहरु-वंशजों पर ही निर्भर होकर ही रही है । नेहरु-वंशजों ने इस पार्टी की प्रासंगिकता को राजनीतिक लाभ में बदलने के लिए अपने सर नेम, नेहरु की जगह गांधी लगाना शुरु कर दिया । 1980 के बाद से तो तो इस पार्टी की ख़ासियत ये रही कि पार्टी अध्यक्ष कोई भी रहा हो लेकिन पार्टी की क़मान पूरी तरह से नेहरू वंशजों वाले गांधी सर नेम के हाथ में ही रही । तो आइये देखते हैं कि 1947 में देश की आज़ादी के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी की कमान किन-किन हाथों में रही ……

देश जब आज़ाद हुआ तो, 1947 में, बतौर कॉंग्रेस-अध्यक्ष जे बी कृपलानी ने इसकी बागडोर संभाली । कृपलानी आज़ादी की घोषणा के बाद लेकिन क़ानूनी औपचारिकताओं के पूरी होने तक अंतरिम भारत सरकार में सेवारत भी रहे थे। आप का जन्म 11 नवम्बर 1888  को  तत्कालीन सिंध प्रांत के हैदराबाद में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। 1982 में आपकी मृत्यु हो गयी ।

1948 व् 1949 में जिन्होंने कॉंग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी निभाई उनका नाम था – पट्टाभी सीताराम्मैया । सीतारमैया का जन्म 24 नवम्बर 1880 को आंध्रा प्रदेश के वेस्ट गोदावरी जिले में हुआ था और 17 दिसंबर 1959 को आपका निधन हो गया ।

1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन कॉंग्रेस अध्यक्ष बने । 1 अगस्त 1882 को उत्तर-प्रदेश के अलाहाबाद यानि प्रयागराज जिले में जन्मे पुरुषोत्तम दास को आज़ादी के अग्रणी नायकों में से एक माना जाता है। 1 जुलाई 1962 को टंडन का निधन हो गया ।

1951,52,53 और 1954 तक कॉंग्रेस की बागडोर जिनके हाथों में रही, उन्हें पूरी दुनिया भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के नाम से जानती है । 14 नवम्बर 1889 को  उत्तर-प्रदेश के अलाहाबाद यानि प्रयागराज जिले में जन्मे जवाहरलाल को भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चार बार मौक़ा मिला । इनमें से एक बार वो अंतरिम भारत सरकार के नामांकित प्रधानमंत्री और शेष 3 बार स्वतंत्र भारत के निर्वाचित प्रधानम्नत्री बने । चाचा नेहरु के नाम से बच्चों में लोकप्रिय जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु 27 मई 1964 को हुई थी ।

1955 से लेकर 1959 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान सँभालने वाले रहे – यू एन धेबर । आज़ादी की लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले नायकों में शुमार ढेबर का जन्म 21 सितम्बर 1905 को गुजरात के जामनगर जिले हुआ था । 1977 में ढेबर का इंतक़ाल हो गया ।

1960 से 1963 तक कॉंग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी नीलम संजीव रेड्डी के ज़िम्मे रही । 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में जन्मे रेड्डी, 1977 से 1982 तक, भारत के छठे राष्ट्रपति के तौर भी कार्यरत रहे । 1 जून 1996 को आपका निधन हो गया ।

1964 से 1967 तक कॉंग्रेस का ध्यक्ष पद जिनके ज़िम्मे रहा, उनका नाम था के कामराज यानि कुमारस्वामी कामराज । 15 जुलाई 1903 को तमिलनाडु के विरुदुनगर जिले जिसका एक अन्य नाम विरुदुपट्टी है में हुआ था । भारत की राजनीति में किंगमेकर का नाम जिस शख़्स को सबसे पहले हासिल हुआ, वो के कामराज ही थे । स्वतन्त्रता आंदोलन के मुख्या सूत्रधारों में से एक और तमिलनाडु के लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने वाले कामराज के बिना कॉंग्रेस् का ज़िक़्र अधूरा है। 2 अक्टूबर 1975 को आपकी मृत्यु हो गयी ।

1968-69 में कॉंग्रेस अध्यक्ष रहने वाले एस निजलिंगप्पा यानी सिद्दवानाहल्ली निजलिंगप्पा का जन्म कर्णाटक मैसूरु में 10 दिसंबर 1902 को हुआ था । निजलिंगप्पा, 1956 से 58 और 1962 से 68 तक तत्कालीन मैसूर स्टेट के दो बार मुख्यमंत्री भी रहे । 8 अगस्त सन 2000 को निजलिंगप्पा का निधन हो गया ।

1970-71 में कांग्रेस अध्यक्ष पद की बागडोर जिनके हाथों रही, वो भारतीय राजनीति में लम्बे समय तक यादगार नाम रहा । देश की राजनीति में कई तरह से अपनी सेवा देने वाले बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल 1908 को बिहार राज्य के आरा जिले में हुआ था । भारत के चौथे उप-प्रधानमंत्री रहे बाबू जगजीवन राम का निधन 6 जुलाई 1986 को हुआ था।

1972 से 74 तक कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने वाले डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को मध्यप्रदेश के भोपाल में हुआ था । आप 1987 से 1992 तक देश के 8वें उपराष्ट्रपति और 1992 से 1997 तक भारत के नवें राष्ट्रपति के तौर पर भी कार्यरत रहे । 26 दिसंबर 1999 को आपका इंतक़ाल हो गया ।

1975 से 1977 के बीच  का वक़्त , इमरजेंसी यानि आपातकाल के ज़रिये भारतीय राजनीति की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बुरी तरह से तमाचा मारता है और लोकतांत्रिक मूल्यों की बखिया उधेड़ कर इसका तमाशा बनाता है । इस तमाचा और तमाशा काल के दरम्यान जिस शख़्स ने कॉंग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभाली, उनका नाम था –देवकांता बरुआ । 22 फ़रवरी 1914 को आसाम के डिब्रूगढ़ में जन्मे बरुआ एक मशहूर असमिया कवि थे । 28 जनवरी 1996 को आपकी मृत्यु हो गयी ।

1977  से 1978 के बीच  कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने वाले कासू ब्रह्मनन्द रेड्डी का जन्म 28 जुलाई 1909 को तत्कालीन आंध्रा प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ था । आप 1964 से 1971 तक तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यम्नत्री भी रहे थे । 20 मई 1994 को आपका निधन हो गया ।

1959 में थोड़े समय और फ़िर 1978 से 1984 तक कॉंग्रेस पार्टी की सर्वेसर्वा रहीं इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को  उत्तर-प्रदेश के इलाहाबाद यानि प्रयागराज जिले में हुआ था । इंदिरा, भारतीय राजनीति का वो नाम रहीं जो अपने सख़्त मिजाज़ के लिए देश में न सिर्फ़ अपने राजनीतिक विरोधियों, बल्कि देश के बाहर दोस्तों और दुश्मनों के बीच भी जानी जाती थीं । मुल्क़ की ज़म्हूरियत में में पहली और आख़िरी बार इमरजेंसी का काला पन्ना जोड़ने का श्रेय पूरी तरह से इंदिरा गांधी के हिस्से में आता है । 4 बार हिन्दुस्तान की प्रधानमंत्री रहने वालीं श्रीमती इंदिरा गांधी की बदौलत ही पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश का वज़ूद बना था । 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की ह्त्या कर दी गयी ।

इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस की कमान उनके बड़े पुत्र राजीव गांधी के पास आ गयी । 20 अगस्त 1944 को तत्कालीन बॉम्बे शहर में जन्मे राजीव गांधी ने 1985 से 1991 तक कॉंग्रेस्स का ध्यक्ष पद सम्भाला । राजीव गांधी के हिस्से भारत के सबसे युवा व् प्रगतिशील प्रधानमंत्री का ख़िताब भी आता है । भारत में कंप्यूटर क्रान्ति के सूत्रधारों में एक अहम् नाम राजीव गांधी का भी शुमार किया जाता है। 21 मई 1991 को राजीव गाँधी गांधी की हत्या कर दी गयी ।

1991 से 1996 तक कॉंग्रेस अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री पी वी नरसिंम्हा राव के पास रही । इसी समय काल में राव भारत के नौवें प्रधानमंत्री के तौर पर भी कार्यरत रहे । 28 जून 1921 को जन्मे और देश के कई महत्वपूर्ण  संवैधानिक अहम् पदों पर रहे नरसिंम्हा राव को, राजनीति से इतर, एक बेहद विद्द्वान के तौर पर भी जाना जाता रहा है । 2004 से लेकर 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह, राव सरकार के चर्चित वित्तमंत्री रहे । 23 दिसंबर 2004 को नरसिम्हा राव का निधन हो गया ।

1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी । 15 नवम्बर 1919 को बिहार के पटना जिले में जन्मे सीताराम , बहुत कम उम्र में ही देश की आज़ादी के आन्दोलनों में भाग लेने लगे थे और कई बार जेल भी गए । 24 अक्टूबर सन 2000 को आपका इंतक़ाल हो गया ।

अब तक सबसे लम्बे समय तक कॉंग्रेस अध्यक्ष रहने का ख़िताब निश्चित तौर पर सोनिया गांधी के हिस्से में आता है । स्वर्गीय राजीव गांधी की पत्नी और स्वर्गीय इंदिरा गांधी की बड़ी बहू तथा राहुल गांधी की माँ के तौर पर ज़्यादा चर्चित सोनिया गांधी का जन्म इटली देश के वेनेतो शहर में 9 दिसंबर 1946 को हुआ था । सीताराम केसरी के बाद कॉंग्रेस्स अध्यक्ष पद की बागडोर संभालने वाली सोनिया गांधी 1998 से 2017 तक कॉंग्रेस अध्यक्षा रहीं और । 2019 से आज 2020 में बतौर कार्यकारी कॉंग्रेस अध्यक्ष सक्रिय हैं।

इंदिरा गांधी के पोते, राजीव-सोनिया गांधी के बेटे और 2019 तक अमेठी और वर्तमान में केरल प्रदेश के वायनाड जिले के सांसद राहुल गांधी को बहुत ही कम समय में ही सबसे नकारा कॉंग्रेस अध्यक्ष के आरोपों से दो-चार होना पड़ा । 2017 से 2019 तक कॉंग्रेस् अध्यक्ष पद संभालने वाले राहुल गांधी भारतीय राजनीति में सम्भवतः वो चेहरा बनकर उभरे हैं जिन्हें लोग गंभीरता से लेने की बजाय उनकी हर बात में हंसी-मज़ाक़ ढूंढने की कोशिश करते हैं ।

अपने अजीबो-गरीब अआक्रामक बयान के लिए चर्चित राहुल गांधी आज फ़रवरी 2020 में  भले ही सिर्फ़ कॉंग्रेस के एक सांसद के रुप में कार्यरत हैं, लेकिन भविष्य में कॉंग्रेस के निर्विवाद अध्यक्ष होंगे – ये तय माना जा रहा है ।  19 जून 1970 को जन्मे राहुल गांधी कॉंग्रेस की उम्मीद हैं, भविष्य हैं ।

नीरज वर्मा

संपादक

इस वक़्त

 

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