औघड़/अघोरी-परम्परा का विश्वविख्यात हेडक्वार्टर- “बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड”
औघड़-संतों के बारे में एक बात तो सत्य है कि ये अजन्मा होते हैं ! समय-काल के अनुरूप उचित गर्भ में प्रवेश कर मानव-तन के रूप में सामने आते हैं ! इसी कारण कहा जाता है कि अरबों-खरबों में कोई एक अघोरी होता है , शेष उस (अघोर) रास्ते के पथिक होते हैं ! अघोरी चलते-फिरते शिव होते हैं ! सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को अपनी मुट्ठी में कैद रखते हैं ! हालांकि प्रकृति के नियमों का उल्लंघन (जिसे आमजन पराशक्ति या शिव-शक्ति से संबोधित करते हैं) बड़ी विकट स्थिति में ही करते हैं ! इस बारे में अध्ययन करने पर आप भी कई औलौकिक घटनाओं के गवाह बन सकते हैं, बशर्ते एक ख़ासा वक़्त (10-20 साल) ज़ाया करने की हिम्मत रखते हों ! अघोर की अविश्वसनीय दुनिया की ऐसी ही घटना है, अघोर के आधुनिक स्वरुप के प्रणेता, महान संत, अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी के पुनरागमन की !
(बाएं) बाबा कीनाराम जी की समाधि, (दायें) बाबा कीनाराम जी का पुनर्गामित स्वरुप…. “बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी
बाबा कीनाराम जी के पुनरागमन की घटना बेहद अदभुत है ! अदभुत होने के साथ-साथ पूरे प्रमाण के साथ मौजूद है ! 10 फरवरी 1978 से शुरू हुई ये घटना बीते 36-37 वर्षों से सबके सामने हर रोज़ घट रही है, फिर भी संदेह का दायरा बड़ा विस्तृत है ! कपालेश्वर, औघड़-अघोरेश्वर, की लीला देखिये कि सबका कपाल फिरा दिया ! ये एहसास करा दिया कि अनुभूति और मानसिक विवेक का आलय, कपाल, भी इनकी मर्ज़ी से ही कार्यान्वित होता है ! रोज़ी-रोटी में उलझा आम आदमी तो आम आदमी, बड़े-बड़े ऋद्ध-सिद्ध भी भ्रम का शिकार हैं ! यानि बाबा कीनाराम जी के पुनरागमन की घटना का भान भी किसी-किसी को ही है ! सन 1771 में अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी , अपने 170 साल के नश्वर शरीर को छोड़ समाधि लिए ! समाधि के वक़्त भक्त-गण, पशु-पक्षी रोने लगे और यहाँ तक कि प्रकृति भी उदास हो चली ! तभी आकाशवाणी हुई और आसमान से एक विशाल भुजा सबके ऊपर से गुज़री और आवाज़ आयी कि …….. ” प्रिय भक्तों, रो मत ! यहाँ आते रहना कल्याण होता रहेगा ! मैं इस पीठ (“बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड”) की ग्यारहवीं (11) गद्दी पर , पुनः, बाल-रूप में आउंगा और तब इस स्थली के साथ-साथ सम्पूर्ण जगत का जीर्णोद्धार और पुनः-निर्माण होगा !”
“बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” स्थित विश्वविख्यात औघड़ तख़्त पर विराजमान बाबा कीनाराम जी के पुनर्गामित स्वरुप….अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी
10 फरवरी 1978 को बाबा कीनाराम जी, अपने कहे अनुसार, ग्यारहवें (11th) पीठाधीश्वर के रूप में , स्वयं गद्दी पर विराजमान हुए ! वो भी बाल रूप में ही ! नया नाम …….अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ! गौरतलब है कि बाबा कीनाराम जी इस पीठ के पहले पीठाधीश्वर थे और वर्तमान में 11वें पीठाधीश्वर विराजमान हैं ! आज पूरी दुनिया देख रही है कि जिस विश्व-विख्यात पीठ में, दुनिया भर के, ऋद्ध-सिद्ध, साधक, उच्च आध्यात्मिक हस्तियाँ पधारती हैं , वहाँ नवीनीकरण और पूर्ण जीर्णोद्धार का कार्य ज़ोरों पर है ! पर कई लोग ऐसे बहुतेरे, आज भी, हैं जो इस अदभुत घटनाक्रम को, समझ के भी , समझने को तैयार नहीं हैं ! तर्क-कुतर्क की कसौटी पर उठा-पटक जारी है !
“बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड” में (एक पर्व के दौरान) बाबा कीनाराम जी के पुनर्गामित स्वरुप….अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का दर्शन करने के लिये कतार में खड़े श्रद्धालू
कुछ भी हो पर सब एक बात पर सहमत हैं कि जिस विश्व-विख्यात आध्यात्मिक पीठ (बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड) की एक ईट को कभी किसी ने नहीं तोड़ा , आज वहाँ पूर्ण नवीनीकरण और जीर्णोद्धार का द्रुतगामी गति से चल रहा कार्य इशारा करता है कि ……महाराजश्री के अलावा ये कार्य और किसी के बूते का नहीं ! प्रत्यक्षम किम प्रमाणं !
ख़ैर ! आध्यात्म-श्रद्धा-विश्वास…..
नीरज वर्मा
प्रबंध सम्पादक
“इस वक़्त”
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