यूँ तो प्रकृति ने भारत के कोने-कोने में ख़ूबसूरती बख़्शी है पर कुछ इलाके ऐसे हैं जो, बेहद ख़ूबसूरत होते हुए भी, लोगों के ज़ेहन में कम ही आते हैं ! देश के उत्तर-पूर्व के राज्य अरुणाचल प्रदेश के 16 ज़िलों में सबसे छोटा जिला तवांग भी कुछ ऐसा ही है ! क़ुदरत ने ख़ूबसूरती का खज़ाना यहाँ जम कर लुटाया है !
तवांग के बर्फ़ से ढके रास्ते और सैलानी
2085 वर्ग-किलोमीटर में फैले इस जिले की सीमा चीन और भूटान से सटी है ! तवांग नाम यहां के प्रसिद्ध तवांग मठ से लिया गया है ! तवांग दो शब्दों से मिल कर बना है- त+वांग ! (TA+WANG) ! यहां TA मतलब “घोड़ा” और WANG मतलब “चुना हुआ” ! यानि घोड़े द्वारा चुना हुआ ! ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध लामा रहे मेरा लामा लोड्रे ग्यास्तो के घोड़े द्वारा इस जगह की खोज हुई थी ! अरुणाचल प्रदेश की राजधानी, ईटानगर, से क़रीब 450 किलोमीटर दूर तवांग की ख़ूबसूरत वादियों का लुत्फ़ उठाने वाले पर्यटक, असम राज्य के, तेज़पुर से तवांग पहुँच सकते हैं ! तेज़पुर से तवांग के लिए (रेल-हवाई-रोड) हर साधन मौज़ूद है ! हालांकि कोलकाता और गौहाटी से भी यहाँ पहुंचा जा सकता है ! ईटानगर से भी APSRTC (Arunachal Pradesh State Road Transport Corporation) की बसें नियमित तवांग के लिए जाती हैं ! अरुणाचल प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा की 3 (तवांग, लुमला, मुक्तो) असेम्बली सीट यहाँ है !
सर्दियों के मौसम में तवांग का एक दृश्य
क़रीब 50 हज़ार की आबादी वाला ये ज़िला बहुत विकसित नहीं है, मगर, यहाँ की क़ुदरती नायाब तस्वीरें आप का मन मोह लेंगी ! ये देश का वो आँठवा ज़िला है जो जनसंख्या के लिहाज़ से कम घनत्व रखता है ! लिंग-अनुपात के मामले में यहाँ की तस्वीर शोचनीय है ! यहाँ प्रति 1000 आदमी के मुक़ाबले औरतों की संख्या महज़ 701 है ! शिक्षा के मामले में भी ये ज़िला थोड़ा पिछड़ा हुआ है ! यहाँ शैक्षणिक प्रतिशत मात्र 60% है ! इन सारी ख़ामियों के बावज़ूद आप यहाँ के दीवाने हुए बिना नहीं रह सकते हैं ! क्योंकि साल के कई महीने बर्फ़बारी और इन सबके बीच हर जगह, चारों ओर पसरी बेपनाह ख़ूबसूरती आपको यहाँ से जाने नहीं देगी ! ख़ूबसूरती के अलावा, तवांग, बौद्ध धर्म के लिए ख़ासा महत्व रखता है ! यहाँ के कई बुद्धिष्ठ संस्थान दर्शनीय हैं !
“तवांग मॉनेस्ट्री” के बाहर और अन्दर का दृश्य
“तवांग मॉनेस्ट्री” यहाँ की सबसे प्रसिद्द जगह है ! विश्व की सबसे बड़ी मॉनेस्ट्री (ल्हासा, तिब्बत) के बाद ये इंडिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी बड़ी मॉनेस्ट्री है ! इस मॉनेस्ट्री का पूरा नाम “तवांग गाल्डेन नामग्ये ल्हात्से” है ! तवांग नदी के पास स्थित, 3 मंज़िला, इस मॉनेस्ट्री की लम्बाई क़रीब 950 फीट है ! 10000 फीट की उंचाई पर एक पहाड़ पर स्थित इस मॉनेस्ट्री में 65 आवासीय-परिसर हैं और एक अति-महत्वपूर्ण लाइब्रेरी भी है जिसमें कई पुरातात्विक संग्रह भी हैं !
तवांग का “सेला पास” इलाक़ा
यहाँ का “सेला पास” भी काफ़ी महत्वपूर्ण है ! ये पर्वतीय क्षेत्र अधिकांशतः बर्फ़ से ढका रहता है ! यहाँ एक झील भी है, जो तिब्बतियों के लिए आस्था का केंद्र है ! तवांग से 80 और गौहाटी से 350 किलोमीटर दूर “सेला पास” और इसके बीच से गुज़रता रास्ता, तवांग को, बाकी भारत से जोड़ता है ! जाड़े में यहाँ का तापमान 10 डिग्री से भी नीचे चला जाता है और रास्तों पर बर्फ़ जम जाती है पर “बॉर्डर रोड आर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया” इसे, साल भर, साफ़ रखने का प्रयास करता है !
तवांग का “बाप तेंग कांग” वाटरफॉल
तवांग का एक और बेहद रोमांचक पर्यटन स्थल है जिसका नाम है—“बाप तेंग कांग” वाटरफॉल ! इसे “नुरानंग” वाटरफॉल के नाम से भी पुक़ारा जाता है ! हालांकि BTK वाटरफॉल के नाम से ये ज़्यादा जाना जाता है ! घने जंगलों के बीच स्थित, क़रीब 100 फ़ीट की उंचाई से, गिरता झरना आपको रोमांचित कर देगा ! यहाँ पास में ही एक हायडील प्लांट है जिसके ज़रिये इलेक्ट्रिसिटी उत्पादन कर इसे आस-पास के इलाक़ों में सप्लाई कर दी जाती है !
तवांग की “माधुरी झील”
तवांग की “माधुरी झील” भी काफ़ी लोकप्रिय है ! इस झील का नाम प्रसिद्द बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित की फ़िल्म “कोयला” की वज़ह से है ! दरअसल “कोयला” फ़िल्म में इस झील को दर्शाया गया है ! ये झील भी बुद्धिष्ठ लोगों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र है ! अगर आप शुद्ध शाकाहारी हैं तो बहुत ज़्यादा वेरायटी आपको मिलना मुश्किल है, मगर नॉन-वेजेटेरियन हैं तो आपको यहाँ तरह-तरह का स्वाद मिल सकता है ! हालांकि मोमोज़, मोनपा, खुरा, ग्यापा-खाज़ी और थुपका जैसे व्यंजन काफ़ी लोकप्रिय हैं और यहाँ की बटर-टी भी आपको पसंद आयेगी ! रूकने के लिहाज़ से हर तरह के होटल की व्यवस्था यहाँ, आपको, मिल जायेगी ! लोग घूमने के लिए विदेशों, ख़ासतौर पर स्विट्ज़रलैंड, का ज़िक्र और बखान करते हैं, पर, ऐसे अनगिनत स्थान तवांग में हैं जो दुनिया के जाने-माने हिल-स्टेशन से बहुत ज़्यादा ख़ूबसूरत हैं ! पर यहाँ पहुंचना इतना आसान नहीं है ! भारत-चीन सीमा के मददेनज़र, ये स्थान, भारत की उन जगहों में शामिल है, जहां जाने के लिए आपको परमिट लेना पड़ता है , जिसका नाम है–“इनर लाइन परमिट” ! कोलकाता, गौहाटी, तेज़पुर और नई दिल्ली में इसके केंद्र हैं, जहां से, परमिट पाकर आप इस बेहद ख़ूबसूरत स्थान की सैर कर सकते हैं !
फ़ईम
Very Nice.