हे वीर ‘अभिनंदन’ तुम्हें नमन !

! आतंकियों की पीड़ा से जब !
!! आक्रोशित थे सब जन-मन !!
! घनीभूत पीड़ा से !
!! द्रवित हो रहा था ये मन !!
! अपना सब कुछ तज कर तब !
!! अपने को तैयार किया !!
! फ़िर देश के वीर-जवानों ने !
!! है शत्रु पर प्रहार किया !!
! जाँबाज़ सिपाहे भारत से !
!! काँप उठे थे शत्रु-जन !!
! ऐसे वीर-जवानों को !
!! हम सबका सस्नेह नमन !!
! इनमें से एक वीर योद्धा !
!! शत्रु के पीछे चला गया !!
! था वीर-बहादुर वो फ़िर भी !
!! क़िस्मत के हाथों छला गया !!
! उस वीर सैनिक की जांबाज़ी सुन !
!! आह्लादित हुआ कोटि-कोटि मन !!
! हे वीर-सिपाही तुम्हें नमन !
!! शत्रु के छल-बल से वह !!
! जरा सा भी डिगा नहीं !
!! मौत सामने थी मग़र !!
! फ़र्ज़ से भी वो हिला नहीं !
!! भारत माँ के लाल सपूत ने !!
! माँ के विरुद्ध कुछ सहा नहीं !
!! ज़ुल्मों-सितम का ख़ौफ़ जानकार भी !!
! देश के ख़िलाफ़ कुछ कहा नहीं !
!! सतत् प्रयासों से फ़िर !!
! हो रहा है उसका पुनरागमन !
!! पलक-पाँवड़े बिछा बैठे हैं !!
! हम सब आपके स्नेहीजन !
!! हे वीर सिपाही तुम्हें नमन !!
! करते हैं हम सब अभिनंदन !
!! हे वीर सिपाही तुम्हें नमन !!

शिखा

5 Responses to हे वीर ‘अभिनंदन’ तुम्हें नमन !

  1. archana saini says:

    excellent

  2. Suresh Asawa says:

    अति सुन्दर रचना।

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