उत्तर-प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है एक जगह ‘मैलानी’ । भारतीय रेलवे का यहां एक जंक्शन भी है – ‘मैलानी जंक्शन’ । दिल्ली से तक़रीबन 410 किलोमीटर दूर इस स्थान पर आने के लिए आपको दिल्ली से सीधी बस आनंद विहार स्टेशन से मिलेगी । ये बसें पलिया, रुपैडिहा के लिए जाती हैं, मैलानी होती हुई । मैलानी रेलवे स्टेशन के लिए लखनऊ से छोटी लाइन की ट्रेनें भी चलती हैं । हालांकि बड़ी लाइन का निर्माण हो रहा है और हो सकता है कुछ दिनों बाद दिल्ली से भी मैलानी के लिए सीधी ट्रेन मिलना शुरू हो जाए ।
‘मैलानी जंक्शन’रेलवे स्टेशन से तक़रीबन डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एक छोटा सा गाँव- ‘नारंग’ । गाँव के आख़िरी घर से महज़ 800 मीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्द टाइगर प्रोजेक्ट – ‘दुधवा नेशनल पार्क’ की बाउंड्री । लेकिन जो लोग इस लायन सफ़ारी में शेर देखने या घूमने के लिए आना चाहते हैं उन्हें मैलानी की बजाय पलिया जाना होगा , क्योंकि मुख्य प्रवेश द्वार वहीं है । पलिया, नेपाल से, महज़ 35-40 किलोमीटर पहले है ।अब फ़िर लौटते हैं नारंग गाँव में । नारंग गाँव के आख़िरी घर और ‘दुधवा नेशनल पार्क’ के बीच में स्थित एक स्थान है , जो इन दिनों अघोर-परम्परा से जुड़े साधक-साधुओं व् श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । दरअसल नारंग गाँव और दुधवा नेशनल पार्क की सीमा रेखा के ठीक बीच में है एक औघड़ का आश्रम – ‘माँ सर्वेश्वरी ब्रह्म निष्ठालय’ । इस आश्रम के संस्थापक और निर्माणकर्ता हैं, पूरी दुनिया में अघोर/अघोरी परम्परा के मुखिया और अघोर-परम्परा के हेडक़्वार्टर ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’ के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी । इस आश्रम में स्थापित गणपति व् माँ काली की जीवंत प्रतिमा की चर्चा अब कई लोग कर रहे हैं । बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, द्वारा स्थापित …. अद्वितीय व् जीवंत गणपति के साथ माँ काली की प्रतिमा अद्भुत है । आध्यात्मिक जगत में माँ-काली व् गणपति की इन प्रतिमा की चर्चा ख़ूब हो रही है । 10 मुखी माँ काली की प्रतिमा और काले रंग के पत्थर की गणपति के ये प्रतिमाएं साधकों और श्रद्धालुओं के लिए सर्वोत्तम बताई जा रही हैं । कहा जाता है कि एक अघोरी द्वारा स्थापित प्रतिमा जीवंत और जागृत होती हैं , ऐसे में जिन प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा स्वयं अघोर परंपरा के मुखिया-ईष्ट-आराध्य (बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी) द्वारा की गयी हो , वो अपने-आप में साधना और अन्य साध्य के लिए सर्वोत्कृष्ठ हो जाती है ।
नीरज वर्मा
सम्पादक
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