“क्रीं-कुण्ड” के बाल-रवि

“क्रीं-कुण्ड” के वर्तमान पीठाधीश्वर (बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी)

बाबा कीनाराम क्रीं कुंड स्थल के नाम से विख्यात यह सिद्धपीठ जहाँ अघोर पथ की पूज्यनीय देवी माँ हिंगलाज का यंत्र स्थापित है,जहाँ वो अंश रूप से निवास करती हैं। पूज्य दत्तात्रेय जी के अवतार बाबा कालूरामजी की साधना भूमि, गंगा और असि दो नदियों के संगम पर स्थित इसी स्थल के मंदार वन में राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहित को सर्प ने डसा था।सुमेधा ऋषि का आश्रम इसी स्थान पर स्थित था। इसी स्थान पर आदि गुरु दत्तात्रय अवतार पूज्य बाबा कालूराम जी ने पूज्य अघोराचार्य महाराजश्री कीनाराम जी को यह स्थल सौंप स्वयं को उनके शरीर में धुंए के रूप में विलीन कर दिया था।पूज्य बाबा कीनाराम जी सहित अनेक औघड़ अघोरेश्वरो की यह पवित्र साधना स्थली विश्व को सर्वमान्य सर्वोच्च अघोर पीठ है।बाबा कीनाराम और अन्य औघड़ संतो की समाधि सहित यहाँ बाबा कीनाराम द्वारा प्रज्वल्लित अखंड धुनि भी विराजमान है।पूज्य बाबा कीनाराम जी के अपने शब्दों में ” क्रीं कुण्ड गिरनार है और यहाँ सभी तीर्थों का वास है”।यहाँ क्रीं कुण्ड नामक प्रसिद्द पवित्र कुण्ड औघड़ तख़्त के साथ महाराजश्री कीनाराम जी की गद्दी भी स्थापित है, जिसके वर्तमान पीठाधीश्वर सकल विश्व के अघोर साधू सन्यासी मुड़िया एवं गृहस्थ साधक पथिकों के सर्वोच्च आचार्य पूज्य अघोराचार्य महाराजश्री सिद्धार्थ गौतम रामजी हैं।

पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु और पूज्य पीठाधीश्वर को प्रणाम करते हुए कुछ संकलन प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिससे अघोर परंपरा के तीन जन्मों की साधना के पुंज वर्तमान पीठाधीश्वर गौतम बाबा के बारे में हम सब कुछ जान सकें।इसके लिए सर्वप्रथम मैं श्री दया नारायण पाण्डेय जी को प्रणाम करता हूँ,जिनकी किताब “क्रीं कुण्ड के बाल रवि औघड़ सिद्धार्थ गौतम राम सारनाथ के आँगन में” से बहुत सी सामग्री का उपयोग मैंने इस पोस्ट में किया है।साथ ही अघोर शोध् संस्थान क्रीं कुण्ड द्वारा प्रकाशित “औघड़ पीर की मस्ती” से भी कुछ अंश इस पोस्ट में उपयोग किये गए हैं।

आदरणीय श्री विश्वनाथ प्रसाद अस्थाना जी ने पूज्य गौतम बाबा के अवतरण के विषय में जो दयानारायण पाण्डेयजी से बताया वो थोडा संपादित कर प्रस्तुत करना चाहता हूँ।

” ईस्वी सन 1969 में सरकार ने मुझको अपने किस निर्माण कार्य को सौंप दिया था,आज मैं उस तिथि या तारीख को तो नहीं बतला पाउँगा।बस इतना ही समझिये कि 1969 की एक रात थी,जब मैं रात्रि पड़ाव आश्रम में रुक गया था।उस दिन मेरी नींद चार बजे भोर में खुल गयी थी।अतः पांच सवा पाँच बजे प्रांगण स्थित मंदिर के पश्चिम खड़ा होकर दातौन करने लगा था।यह मुझको बाद में पता चला की उस रात सरकार तीन बजे ही अपने मुक्की लगाने वालो को अपने कमरे से बाहर कर दिए थे,पाँच बजे जब मैं दातौन कर रहा था,उसी समय सरकार का दरवाजा खुला और वह अपने कमरे से निकल कर अपने बरामदे में खड़े हो गए।अतः उनकी दृष्टि से बच कर दातौन करने की गरज से मैं वही एक पौधे की आड़ लेकर खड़ा हो गया।

मैं जिस आड़ में खड़ा था,वहां से सरकार साफ़ दिखाई पड़ रहे थे,मैंने देखा कि बरामदे में जब वो खड़े थे,तो उनका एक हाथ बाहर की और निकलता दिखाई पड़ा।उनके उस निकले हुए हाथ के देखने से लगा जैसे उसकी काँख से निकलता हुआ सा कोई वस्त्र उनके पूरे हाथ पर लिपटा है।

एक मिनट बाद सरकार ने एक आदमी का नाम लेकर बुलाया और अपने हाथ में लिपटे हुए वस्त्र को उसी आदमी को थामा दिए।घंटे भर बाद मुखे पता चला सरकार के हाथ में कोई वस्त्र नहीं बल्कि यही गौतम रामजी शिशु रूप में थे जो आज क्रीं कुण्ड के पीठाधीश हैं।

श्री पाण्डेय के यह पूछने पर कि आपके इस कथन से क्या मैं नहीं कह सकता कि सिद्धार्थ गौतम राम के उपजनन में सरकार की कुक्षी है,तो आदरणीय अस्थानाजी का जवाब था
“मैं श्री सिद्धार्थ गौतम रामजी को अयोनिज नहीं कहता, मैं कहता हूँ कि औघड़ सिद्धार्थ गौतम राम का जन्म औघड़ भगवन राम की विधा के अंतर्गत है”

प्रिय मित्रों दूसरा उल्लेख भी श्री दयानारायण पाण्डेय और अस्थानाजी का अभिषेक दिवस पर वार्तालाप से ले रहा हूँ।

आदरणीय अस्थानजी के शब्दों में ही प्रस्तुत कर रहा हूँ।
” अघोर पीठ क्रीं कुण्ड, काशी का पीठाधीश्वर होने के अर्थ में है, हरिश्चंद्र घाट का कालूराम अथवा शमशानेश्वर होना।धूतांग के शमशानिकांग में निषणात होना।10-02-1978 दोपहर साढ़े ग्यारह बजे के लगभग जब गौतम बाबा अपनी किनारामी गद्दी पर विराजमान थे, उसी समय उनको देखने एक महात्मा का आगमन हुआ जो अकथ्य है।उनका वेश रूक्ष रूप श्याम था,आँखों में तीव्र तेज था,हाथ में कमंडल और दाढ़ी नाभि तक झूलती और सर पर जटा वस्त्र के नाम पर मात्र एक लंगोटी।उस भीड़ में से किस आदमी से महात्मा जी ने पुछा इस मठ का महंत कौन है, आदमी ने पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु की तरफ इशारा कर दिया,उस आदमी का उत्तर सुनते ही महात्माजी का चेहरा तमतमा गया और उन्होंने गुस्से से फिर पुछा कौन,क्रोधित मुख मुद्रा देख वो आदमी भाग खड़ा हुआ, तभी बाजू कड़ी एक अधेड़ स्त्री ने अपनी तर्जनी ऊँगली को गद्दी पर बैठे हुए श्री सिद्धार्थ गौतम राम की और दिखाते हुए कहा “इहाँ का महंत उहै का ना देखात हउवै समनवां भीतरा घरवा में देखा गद्दी पर बईठल झलकत हउवै।आजै त गद्दी पर बईठलन हैं।बाकी अबहीं बच्चा हउवै”।उस स्त्री के यह कहने के बाद उन महात्माजी का चेहरा शांत हो गया खिलखिला कर हंसने लगे किन्तु मिनट भर में रोने भी लगे।
प्रिय मित्रों इन महात्मा के वृत्तांत से मुझे वो ऋषि याद आ गए जो गौतम बुद्ध के जन्म के समय आये थे, बालक सिद्धार्थ को देख पहले वो मुस्कुराये और फिर रोने लगे यह कहकर कि जब आप जागेंगे तब तक मैं चिरनिद्रा में जा चूका रहूँगा।आपका वो स्वरुप देखने से वंचित रह जाऊँगा।

प्रिय मित्रों तीसरा वृत्तांत”औघड़ पीर की मस्ती” से ले रहा हूँ।

एक दिन अघोर परंपरा की वैष्णव गद्दी महुवर के महंथ श्री शंकर दासजी,जो पूज्य बुढऊ सरकार के कनिष्ठ भ्राता भी थे, क्रीं कुण्ड स्थल पर पधारे।पूज्यवर के दर्शन के बाद महंथजी वही बैठ उनसे बात करने लगे।अचानक पूज्यवर ने उनसे प्रश्न किया ” हमरे बाद यहाँ का महंथ के के सोचत हउवा “इस एकाएक प्रश्न के जवाब में श्री शंकर दासजी ने कहा श्री अवधूत भगवान् रामजी। इसपर पूज्यवर ने कहा नहीं “बालक”और चुप हो गए।अपने महानिर्वाण के डेढ़ वर्ष पूर्व भी आपने यही प्रश्न किया और जवाब आपको वही मिला पर तब आपने बालक गौतम रामजी की तरफ इशारा कर स्पष्ट कर दिया।

प्रिय मित्रों यह बात निर्विवाद रूप से सत्य है,कि परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु बाबा कीनाराम के बालरूप में पुनरागमन किये थे।स्वयं बुढऊ सरकार कहते थे,कि मैं जानता हूँ आप कीनाराम हैं।गद्दी स्वीकार करने की बात पर विनम्रतापूर्वक इनकार कर कहते थे,मुझे दूसरा कार्य करना है।पर अपने पूर्व जन्म में की गयी घोषणा और अंतिम सन्देश का पालन भी उन्हें सदा याद रहा कि ” ग्यारहवीं गद्दी में पुनः बाल रूप में आऊंगा तब इस स्थली का और जगत का पुनर्निर्माण और पूर्ण जीर्णोद्धार करूँगा”

उपरोक्त सभी दृष्टान्तों से मेरी छोटी बुद्धि से इतना ही समझ पाया हूँ,कि सरकार ने जाते जाते अपनी अघोर साधना की शक्ति का अंश सभी उत्तराधिकारियों साधू शिष्यों को दे दिया किसको क्या दिया यह महात्मागण ही जानते हैं,और सबसे अंत में सरकार ने स्वयं को पूज्य बाबा सिद्धार्थ गौतम रामजी को दे दिया या दुसरे शब्दों में कहूँ तो परकाया प्रवेशी ने अपने ही इस नवीन शरीर में प्रवेश कर लिया।आखिर उन्होंने दोनों कार्य संपन्न किये, जगत उद्धार श्री सर्वेश्वरी समूह पड़ाव् तथा अन्य आश्रमो का विस्तार करके और क्रीं कुण्ड स्थली का जीर्णोद्धार अपने ही नवीन स्वरुप वर्तमान पीठाधीश्वर पूज्य बाबा सिद्धार्थ गौतम रामजी के माध्यम से और अब भी यह दोनों महान कार्य अनवरत इस स्थली से संचालित हो रहे हैं।

मित्रों आश्रम मंदिर बहुत सारे हैं और भी बहुत सारे बनेंगे परंतु अखंड धुनि अघोर गद्दी और क्रीं कुण्ड एक ही है और एक ही रहेगा।किसी भी परंपरा की सर्वोच्च गद्दी एक ही होती है,भले ही उसके साधू संतो की कितनी भी शाखाएं हो। पीठ का अर्थ ही पॉवर हाउस होता है। इस स्थल से समस्त जगत के अघोर पथ का आध्यात्मिक और भौतिक संचालन होता है,यहीं पूज्य सरकार ने अपनी समस्त ऊर्जा को समाहित कर दिया।

मित्रों पूज्य अघोराचार्य महाराजश्री सिद्धार्थ गौतम रामजी को मैं निजी रूप से पूज्य महाराजश्री कीनारामजी पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु और स्वयं गौतम बाबा के पांच वर्ष की आयु से की गयी अघोर साधना का एकीकृत पुंज मानता हूँ।ज्ञात हो कि पूज्य गौतम बाबा का दीक्षा संस्कार मात्र पांच वर्ष की आयु में हो गया था।अतः यह तीन जन्मों की साधना और तपस्या की जीती जागती मूरत हैं।कीनाराम स्थल में महाराजश्री कीनाराम जी के बाद कुर्सी पर दो ही लोग विराजमान हुए एक पूज्य सरकार दूसरे पूज्य गौतम बाबा।क्रीं कुण्ड स्थल में कोई चीज़ इधर से उधर नहीं हुई बाबा कीनाराम के बाद या यह कहें किसी ने हिम्मत नहीं की।पर आज क्रीं कुण्ड के पूर्ण जीर्णोद्धार को देख लगता है, यह काम बाबा कीनाराम अंश के हाथो ही संभव हो सकता था।अब कालू कीना एक भये राम कहे सो होय की परंपरा में अगर मुझे कीनाराम अवधूत राम गौतम राम एक भये प्रतीत होता है,तो मुझे तो यह आश्चर्यजनक नहीं लगता बल्कि अघोर परंपरा की वो प्राचीन विधा की पुनुरुक्ति प्रतीत होता है।भावावेश या भक्ति का अतिरेक कहें जो मेरे मन ने कहा मैंने वैसे का वैसा यहाँ उतार दिया।शेष सरकार जानें।

मेरा आपसे ऐसा कोई आग्रह नहीं है,कि आप भी वैसा माने जैसा मैं मानता हूँ।बल्कि मेरा आग्रह आपसे इतना ही होगा कि आप भी पूज्य गौतम बाबा को वैसा जानने का प्रयास करें जैसा उन्हें जानना चाहिए।

ॐ श्री शिवरामकिना नमः।
ॐ श्री अघोरेश्वराय नमः।
ॐ श्री पीठाधीश्वराय नमः।
ॐ श्री अघोर पीठाय नमः।

कमल शर्मा 

रायपुर , छत्तीसगढ़ 

One Response to “क्रीं-कुण्ड” के बाल-रवि

  1. Manish Tiwari says:

    I worship baba.i feel his graceness but from few year ago I have suffering from a mental disorders a name is bipolar disorders due to this my study is incompleted. Now I need another graceness of baba to treat my disorders & become a social man & independent person.plz help baba, i have come to ur place but u not meet. Help baba i m come in near future soon…

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