भुतहा नहीं ‘भूली भतियारी का क़िला’

आप अपना मोबाइल उठाइये और गूगल सर्च पर जाकर दिल्ली के डरावने स्थान  (Most Haunted Places of Delhi ) टाइप करेंगे तो कई साइट्स खुल कर आएंगी और सब अपने-अपने हिसाब से, दिल्ली की, भुतहा जगह बताएंगी । मगर कुछ जगहें तो सारी वेबसाइट में मिलेंगी । मसलन:- ‘भूली भतियारी का क़िला’ । मग़र क्या ऐसा है ? क्या वास्तव में ये जगह भुतही है ? क्या यहां कोई पैरानॉर्मल-ऐक्टिविटीज़ होती है ? ये जानने के लिए हाल ही में ‘इस वक़्त’ की टीम ने इस जगह का दौरा किया ।

दिल्ली के झंडेवालान मेट्रो स्टेशन पर उतर कर और करोल बाग़ के प्रसिद्द हनुमान मंदिर के बगल से पीछे की एक सड़क से अंदर की ओर जाता रास्ता, सीधा, आपको ‘भूली भतियारी का क़िला’ पर ले जाएगा । चलती सड़क से जैसे ही आप अंदर की ओर क़िले की तरफ़ मुड़ेंगे तो आप को अचानक वीरानगी का एहसास होगा । लेकिन ये एहसास भूतहा न होकर गहरे-सन्नाटे की तरह लगता है । अब, ये सन्नाटा ही, भूतहा होने के एहसास की तरफ़ मुड़ जाए तो और बात है ।

क़िले पर पहुँची ‘इस वक़्त’ की टीम की गाड़ी सीधा क़िले के मेन गेट पर रूकी । ‘इस वक़्त’ की टीम ने, अंदर प्रवेश करने से लेकर दो-मंज़िले इस क़िले के कोने-कोने का मुआयना किया, तो पाया कि …. दरअसल, आज की तारीख़ में इसे क़िला कहना ही ना-इंसाफ़ी होगी । देखने में ये, राजाओं-महराजाओं के समय के, किसी ज़मींदार की क़िलानुमा कोठी सी लगती है । हो सकता हो, कि, किसी ज़माने में ये क़िला रहा हो और जर्जर होते-होते सिकुड़ता चला गया हो और आज देखने में एक क़िले की बजाय क़िलानुमा हवेली के रूप में शेष बचा हो । हाँ , ये ज़रूर है कि इस कोठी की बनावट किसी क़िले की ही याद दिलाती है ।

अब बात करते हैं इसके भुतहा होने की । कई वेबसाइट्स किस आधार पर इसे दिल्ली की भूतहा जगहों में से एक क़रार देती हैं , ये तो नहीं पता मगर ‘इस वक़्त’ की टीम इस क़िले के हर उस कोने पर पहुँचने की कोशिश की जो ,इस जगह पर, किसी भूत या अदृश्य आत्मा का एहसास कराए या सिहरन पैदा की वज़ह बने या फ़िर भूतहा डर पैदा करने का हौसला रखे । मग़र ‘इस वक़्त’ को किसी भी वक्त कोई ऐसी बात या जानकारी नज़र नहीं आयी, जो इस जगह के भुतहा होने का यक़ीन दिला दे । मज़ेदार बात तो ये , कि, सुनसान जगहों की तलाश में भटकते प्रेमी जोड़ों को भी ये जगह बहुत पसंद आती है । ये प्रेमी जोड़े किसी का ख़लल पसंद नहीं करते, चाहे वो इंसान हो या भूत । ये जोड़े, इस जगह के, भूतहा होने को लेकर गंभीर सवाल उठाते हैं । उन सब वेबसाइट्स को भी कठघरे में खड़ा करते हैं जो सनसनी के लिए ऐसी जगहों को मसाला लगा कर पेश करते हैं, वो भी, बिना आधार के ।

इतना ही नहीं , बल्कि, ‘इस वक़्त’ की टीम ने यहाँ 30 साल से रह रहे चौकीदार नुमा शख़्स से भी यहां के ‘भूतों’ पर चर्चा की तो वो पहले तो खूब हँसे । फ़िर हम लोगों से ही पूछ बैठे कि ये भूत , क़िले में, रहता कहाँ है ? अनुभवी नेपाली चौकीदार की इस बात पर हम झेंप उठे । ख़ुद पर भी शर्मिन्दा हो उठे कि हमने भी ऐसी बकवास उनसे क्यों पूछ दिया ? इसके बाद एक और सज्जन से मुलाक़ात हुई , जो यहां पिछले कुछ सालों से अपनी ड्यूटी देने आते हैं। उनसे भी वही भूत वाला सवाल पूछा तो वो भी मुस्कुराये । उनकी मुस्कराहट धारदार चाकू से भी तेज़ थी । फ़िर उन्होंने एक सपाट लहज़े में कहा — “साहब , सनसनी बेचना हो तो कुछ भी लिख दीजिये, अन्यथा यहाँ भूत-वूत कुछ नहीं है । सब झूठ और अफ़वाह बनाकर लोगों के बीच परोसा जाता है “।

फ़िर भी हमें संतोष नहीं हुआ तो हमने वहाँ 2 घंटे का वक़्त और गुज़ारा और शाम साढ़े सात बजे वापिस हो गए इस निष्कर्ष के साथ कि ‘भूली भतियारी का क़िला’ के भूतहा होने की कहानी में कोई दम नहीं है और न ही ‘भूली भतियारी का क़िला’ किसी अदृश्य-आत्मा या किसी भूतनुमा अस्तित्व का ठिकाना है। ये जगह, सन्नाटों के बीच पसरी, सिर्फ़ एक ऐतिहासिक क़िलानुमा हवेली है , जो, रखरखाव के अभाव में जर्जर हो चुकी है और सन्नाटे के साथ ही खंडहर में तब्दील होने को बेक़रार है।

योगेंद्र शर्मा
‘इस वक़्त’

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