गण-गण-गणांत बोते 
शेगाँव स्थित गजानन महाराज का मंदिर 
 
भारतवर्ष के महाराष्ट्र राज्य की पहचान एक विकसित औद्योगिक राज्य के रूप में होती है ! पर्यटन की दृष्टि से भी ये सूबा काफ़ी धनी है ! मग़र आध्यात्मिक विरासत के नज़रिए से, ये राज्य ख़ासी अहमियत रखता है ! यहां के शिरडी वाले साईं बाबा, शनि शिंगणापुर, त्रयंबकेश्वर महादेव, भीमाशंकर महादेव, घृष्णेश्वर महादेव इत्त्यादि के बारे में तो बहुत लोग जानते हैं, लेकिन यहां के विधर्भ क्षेत्र की पहचान, महान औलिया संत, गजानन महाराज के नाम से ही होती है !
दिल्ली से आगरा-ग्वालियर-भोपाल वाले रास्ते से जब आप मुंबई की तरफ़ बढ़ेंगे तो मध्यप्रदेश पार करते ही एक स्टेशन पड़ता है- भुसावल ! इस स्टेशन पर उतरकर जब आप नागपुर रुट पर चलेंगे तो खामगांव नामक स्थान के बाद क़रीब 14-15 किलोमीटर दूर एक जगह है- “शेगांव” ! भुसावल-नागपुर लाइन पर महाराष्ट्र का एक बेहद अहम् रेलवे स्टेशन ! महाराष्ट्र राज्य के बुलडाणा ज़िले में स्थित शेगांव ही वो स्थान है जो गजानन महाराज की पुण्यभूमि के रूप में विख्यात है !
संस्थान द्वारा संचालित थीम पार्क -“आनंद सागर”
गजानन महाराज के जन्म को लेकर कोई शोध नहीं है ! लेकिन, शेगांव में उनका प्रथम दर्शन (लोगों को) सम्भवतः1875 से 1878 के बीच किसी वक़्त हुआ था ! ये कहाँ के निवासी थे ,इस बारे में भी, कोई पुख़्ता जानकारी मौज़ूद नहीं है ! हालांकि बिरूदू राजू द्वारा लिखित एक शोध, “आन्ध्रा योगुलु” के मुताबिक़– “गजानन महाराज तत्कालीन आंध्र प्रदेश के तेलगांना (जो अब राज्य बन चुका है) के निवासी थे” ! जबकि एक अन्य किताब “श्री गजानन महाराज चरित्र कोष” कुछ हटकर ज़िक्र करती है ! वहीं “श्री गजानन विजय” पुस्तक का कहना भी अलग है !
ख़ैर !  शेगांव निवासी बंकट लाल अग्रवाल ही वो प्रथम सज्जन थे, जिन्होंने गजानन महाराज को देखा था !  जिस समय उन्होंने गजानन महाराज को देखा तो उस वक़्त वो लोगों का बचा हुआ झूठा-कट्ठा खाना बीन कर खा रहे थे ! बंकट अग्रवाल को अचानक लगा कि ये कोई महान पुरुष हैं ! इसी विचार के तहत वो निवेदन कर उन्हें अपने घर ले आये ! गजानन महाराज की ख़्याति बड़ी तेजी से फ़ैलने लगी ! लोग दूर-दूर से उनका दर्शन करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आने लगे ! शेगांव का प्रतिष्ठित पाटिल परिवार भी अब गजानन महाराज का अनन्य भक्त हो चुका था ! हर दिन होते अद्भुत चमत्कारों से अभिभूत लोग अब ये पूरी तरह से मान बैठे थे कि गजानन महाराज एक अवतारी परम अघोरी संत हैं ! कुछ लोग उन्हें आदि-गुरु भगवान् दत्तात्रेय का रूप समझकर उन्हें पूजते थे और कुछ लोग उन्हें शिवांश (शिव का अंश) जान उनकी भक्ति करते थे ! ऐसे अनगिनत तज़ुर्बे, शेगांव के लोगों ने, अपने पूर्वजों से समेट कर आज भी अपने पास रखा हुआ है !
गजानन महाराज संस्थान द्वारा संचालित-इंजीनियरिंग कॉलेज
आज शेगांव की पुण्यभूमि पर, गजानन महाराज मंदिर परिसर में ,गजानन महाराज की समाधि मौज़ूद है ! इस मंदिर का संचालन “गजानन महाराज संस्थान” द्वारा किया जाता है ! गजानन महाराज के प्रिय-भक्तों में से एक प्रतिष्ठित पाटिल परिवार के सम्मानित सदस्य व् विदर्भ की जनता के बीच कर्मयोगी के रूप में प्रसिद्द शिवशंकर भाऊ पाटिल के काबिलेतारीफ़ दिशा-निर्देशन में इस संस्थान द्वारा वृहद्-स्तर पर समाजिक कार्य किये जाते हैं ! संस्थान के चीफ़-ट्रस्टी शिवशंकर पाटिल एक अनपढ़ हैं, मग़र उनका मैनेजमेंट समझने के लिए दुनिया भर से लोग उनके पास आते हैं ! लोग “अनपढ़” पाटिल पर गजानन महाराज की साक्षात कृपा मानते हैं ! इसकी गवाही देते हैं , यहाँ का रखऱखाव-कॉलेज-थीम-पार्क-भंडारा इत्यादि ! संस्थान द्वारा संचालित “श्री संत गजानन महाराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग” S.S.G.M.C.E. महाराष्ट्र के अग्रणी तक़नीकी संस्थानों में से एक है ! संस्थान द्वारा निर्मित थीम पार्क “आनंद सागर” यकीनन भारत में मौज़ूद थीम पार्कों में सबसे ऊपर की श्रेणियों में आता है ! यहां का भंडारा भी देखने लायक है ! यहाँ के भंडारे में रोज़ 25-30 हज़ार लोग टेबल-कुर्सी पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं ! जिसे देखना-समझना भी किसी कौतूहल से कम नहीं !
गजानन महाराज की पालकी व् संस्थान का भंडारा कक्ष 
महान औलिया संत गजानन महाराज की चर्चा,आज, दुनिया भर में होती है ! हर रोज़ यहां हज़ारों श्रद्धालु आते हैं ! गुरुवार को ये संख्या लाखों तक पहुंच जाती है ! दशहरा-रामनवमी व् अन्य धार्मिक अवसरों पर गजानन महाराज की पालकी निकलती है, जो कई किलोमीटर तक सफ़र कर आती है !
दुर्लभ-संतों की श्रेणी में शुमार गजानन महाराज की समाधि आज भी कई ना-उमीदों में उम्मीद की रौशनी भर देती है !
स्थानीय निवासी अपने गजानन महाराज को कुछ यूँ गुन-गुनाकर पुष्पांजली अर्पित करते हैं — गण-गण-गणांत बोते !
नीरज वर्मा 
प्रबंध संपादक
“इस वक़्त”

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