राय मत दीजिये, हक़ीक़त बताइये 
एक विदेशी प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  
1947 में देश आज़ाद हुआ और अब 2017 चल रहा है ! सत्तर साल का सफ़र, आज़ादी का, हम तय कर चुके हैं ! मुल्क़ की फ़िज़ा बदली, तस्वीर बदली ! बहुत कुछ बदला, नहीं बदली तो आम आदमी की तस्वीर ! मग़र 2014 के बाद लगता है, कि, कॉमन-मैन की तक़दीर खुल रही है ! नोटबंदी, GST के फ़ैसले और आर्थिक-संचालन के तमाम गैर-क़ानूनी तौर-तरीक़ों पर चोट तक़लीफ़ तो पहुंचा रहे हैं, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद उम्मीद का आशियाना बनेगा ज़रूर !
नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना इत्तेफ़ाक़ हो सकता है, लेकिन आम जनता का उन पर विश्वास, आज का सच है ! आप मोदी के आलोचक हो सकते हैं, राजनीतिक विरोधी हो सकते हैं , उनके विचारों को नक़ार सकते हैं ! लेकिन एक बात तो पक्की है, कि….. मोदी की जगह किसकी प्रशंसा की जाए ? मोदी से बेहतर वैकल्पिक राजनीतिक शख्स ? मोदी से अच्छे वाला दूसरा नेता कौन है ?…. इन जैसे सवालों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा ! ये वो दौर चल रहा है, जब देश की जनता का विश्वास मज़बूत हो रहा है और समाज का ताना-बाना भी सकारात्मक सहयोग की तरफ़ है ! किसी भी देश की पहचान और विकास के लिए एक अच्छे-सच्चे और दृढ़-इच्छाशक्ति वाले मज़बूत सिपाही की ज़रुरत होती हैं ! देश में मौज़ूद तमाम राजनैतिक “सिपाहियों” में सर्वाधिक मज़बूत सिपाही कौन है, इसका पता किसी भी सर्वेक्षण से चल जाएगा !
देश की आजादी के बाद से 2014 तक हम लोग विश्व के केंद्र में रह कर भी आज तक कभी विकास के लिए अपनी आवाज़ इतनी बुलंद नहीं कर पाये, जितना आज की तारीख़ में ! आज भी भ्रष्टाचार जारी है, लेकिन भय-युक्त है ! याद कीजिये कांग्रेस का दौर, जब भ्रष्टाचार भय-मुक्त हुआ करता था ! 125 करोड़ की आबादी वाले मुल्क़ के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि न सही पर, गौर करने वाला वाकया ज़रूर है ! आप इस बात को नहीं झूठला सकते कि मोदी राजनैतिक तौर पर घाघ शख्स  हैं ,पर, इस बात से भी आप  इंकार नहीं कर सकते कि व्यक्तिगत नफ़ा-नुकसान से प्रभावित होने वाले व्यक्ति वो नहीं है ! पूरी दुनिया को उन्होंने भारत की ओर आकर्षित करते हुए भ्रष्टाचार  की पोल भी की खोली है और देश की गंभीर समस्याओं पर मंथन तथा विकास के लिए ग़रीबी और उससे लड़ने का ढोल भी बजाया है ! ढोल बजाकर पोल खोलते हुए डोलने वाला इतना साहसी ज़रूर होता है कि हर किसी से टकरा सके और “राजभोग” को ठुकरा सके   ! क्योंकि ढोल-पोल वाला ये हुनर हर किसी के पास हो सकता है ! ये रिस्क वही ले सकता है, जो, अपने घर के दरवाज़े और तिजोरियों को खुला छोड़ दे ! मोदी ने देश की मूलभूत समस्याओं के लिए आवश्यक क़दम उठाये हैं ! राष्ट्रीय-स्तर पर हों या अंतराष्ट्रीय, हर जगह मोदी ने भारत की पहचान और गरिमा से खिलवाड़ करने वाले लोगों को भारत के सामने झुकने पर मजबूर किया !
दुनिया के नेताओं से मिलते हुए मोदी 
ये प्रशंसा नहीं, 100 आने सच है कि मोदी आज हिन्दुस्तान की ज़रुरत है ! मोदी की आलोचना ही इसलिए होती है, कि, लोग उन्हें समझौते करने वाला नहीं बना सकते ! पहले की सरकारों और उनके मुखिया “सबको” साथ लेकर चलना जानते थे ! मोदी सही लोगों को साथ लेकर चलना चाहते हैं ! बस यही है मोदी और मोदी विरोधियों के बीच का फ़ासला ! इस फ़ासले के आप मुरीद भी हो सकते हैं और ख़िलाफ़ भी ! मोदी की नीतियों से “इक़रार” आप भले ही न जता पायें पर इनकार करने का का विकल्प, फ़िलहाल किसी के पास आन्ही है ! इन स्थितियों के बीच खड़े होकर एक सवाल बेहद अहम् है, जो चलते-चलते मैं आप लोगों के लिए छोड़ देता हूँ…..राय मत दीजियेगा, हक़ीक़त बताइयेगा…..  आज की तारीख़ में, हिन्दुस्तान के लिए मोदी से बेहतर कौन ?
दुर्गेश शुक्ला  
वाराणसी

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