उत्तर-प्रदेश को उत्तम-प्रदेश बनाने का संकल्प रखने वाले, सूबे के मुख्यमंत्री, माननीय योगी आदित्यनाथ के इस संकल्प को धराशायी होते अब हर कोई देख-सुन रहा है । प्रदेश में आए दिन हत्याओं का सिलसिला जारी है । बे-ख़ौफ़ अपराधियों ने क़ानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दी है । क़रीब-क़रीब पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर वाला उत्तर-प्रदेश , हत्याओं के मामले में बे-लगाम होता जा रहा है । आलम ये है कि राज्य में अपराधियों को आकर्षित करने वाले सत्ता-ग्लैमर और पैसे वाले शहरों को पीछे छोड़ते हुए, गरीब माने जाने वाले, जनपद सोनभद्र में भी अब अपराधियों की तूती बोल रही है और अपराध के मामले में सोनभद्र का ‘जलवा’ । बीते 2-3 सालों में , इस जिले में, अनगिनत हत्याएं हुईं , और, सख़्त कार्यवाही के अभाव में ये आंकड़ा बढ़ता ही गया ।
एक आम धारणा है कि बिना किसी राजनीतिक या प्रशासनिक सरंक्षण के अपराध या अपराधी नहीं पनप सकते । उत्तर-प्रदेश के सबसे ग़रीब जिलों में से एक सोनभद्र जिला इसकी गवाही देता है । 30 सितम्बर 2019 की रात 9 बजे उत्तर-प्रदेश के सोनभद्र जिले के रेणुकूट नगर-पंचायत अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह उर्फ़ बबलू सिंह की ह्त्या कर दी गयी । ह्त्या, वो भी उनके घर में घुस कर । बिहार-छत्तीसगढ़ और झारखंड से घिरे हुए सोनभद्र जिले के अपराधियों ने नगर के प्रथम नागरिक, जिसे नगराध्यक्ष भी कहते हैं, की घर में घुसकर ह्त्या कर दी जाती है और स्थानीय प्रशासन मुख्य अभियुक्तों की गिरफ़्तारी के बाद दावा करता नज़र आए रहा है कि ‘कड़ी’ कार्यवाही होगी , लेकिन स्थानीय नागरिक प्रशासन के इस दावे को कागज़ी बता रहे हैं ।
इस जिले में पूर्व में हुई हत्याओं के मद्देनज़र क़ानून-व्यवस्था सख़्त करने को लेकर प्रशासन या राजनीतिक नेतृत्व वाले शासन ने क्या किया , इसकी एक बानगी देखिये …. पूरे रेणुकूट में सबको मालूम है कि इस हत्या का मुख्य सूत्रधार, रेणुकूट नगर पंचायत का पूर्व अध्यक्ष व् भाजपा से जुड़ा शख़्स अनिल सिंह , उसके दो भाई हैं और इनका साथी बिहार निवासी जमुना सिंह है । लेकिन ये सब , गिरफ़्तारी के बावज़ूद, निश्चिन्त हैं क्योंकि दिल्ली और लख़नऊ में बैठे भाजपा के बड़े नेताओं से इनके तार बंधे हैं । बबलू सिंह और अनिल सिंह की अदावत पुरानी थी , लेकिन नगर में हुए पिछले चेयरमैन चुनाव के दरम्यान ये हिंसक हो गयी थी । मुख्य आरोपी अनिल सिंह को लगातार मिलते राजनीतिक सरंक्षण के चलते ये सिलसिला बना हुआ था जो बबलू सिंह की ह्त्या पर जाकर समाप्त हुआ । आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद स्थानीय प्रशासन ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि ये राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई थी । भाजपा के एक बहुत बड़े नेता के क़रीबी अनिल सिंह ने अपने भाइयों और जमुना सिंह के साथ मिलकर बिहार से भाड़े के शूटर्स को बुलवाकर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को मौत के घाट उतरवा दिया । लोग बताते हैं कि अनिल सिंह को दिल्ली में बैठे एक बड़े भाजपा नेता का ‘आशीर्वाद’ हासिल है । दबी ज़ुबाँ से लोग बताते हैं कि ये ‘आशीर्वाद’ अनिल सिंह की अपराधिक गतिविधियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है और आगे भी करेगा । भाजपा का नेता बनकर नेतागिरी करने वाला अनिल सिंह नाम का ये शख़्स भाड़े के हत्यारों को बुलाकर ह्त्या करवाता है और दिल्ली-लखनऊ में बैठे अपने आक़ाओं के भरोसे निश्चिन्त रहता है , ये आज के उत्तर-प्रदेश में क़ानून-व्यवस्था का आलम है ।
उत्तर-प्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित ये वही रेणूकूट है, जहां मौज़ूद है एशिया की सबसे बड़ी अल्युमिनियम फैक्ट्री हिंडालको के साथ कई पावर प्लांट और बे-हिसाब इंडस्ट्रीज़ …… ये वही जगह है, जहां औघोगिक विकास बहुत है और उद्योगपतियों की जेब में बेशुमार पैसा है , मग़र इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है … ये वही जगह है जहां शोषण की अनगिनत दास्ताँ और बेहद गरीबी का आलम चौतरफ़ा है । मज़दूर वर्ग की हैसियत दयनीय है । यहां के कारखानों में मरने वालों या उनके परिवार वालों के लिए बबलू सिंह एक बहुत बड़ी उम्मीद थे । अनिल सिंह ने उस उम्मीद पर पानी फ़ेर दिया । अब मज़दूर या आम आदमी मरता है तो मरे । सोनभद्र जिले का सबसे समृद्ध इलाक़ा कहा जाने वाला रेणूकूट , अतुलनीय, खनिज सम्पदा से भरपूर है , जिसका दोहन करने वाले नेता-उद्योगपति-माफ़िया-अधिकारी भी बहुत हैं … बबलू सिंह की मौत से एक बात साफ़ है कि जो भी इनके ख़िलाफ़ खड़ा होगा , मार दिया जाएगा । आज की तारीख़ में रेणुकूट सहित सोनभद्र जिला वो जगह बन चुका है जहां सत्ता और अपराध का बेजोड़ तालमेल नज़र आता है , रेणुकूट वही जगह है, जहां एक साल पहले 25 अक्टूबर 2018 को चोपन नगरपंचायत के नगराध्यक्ष इम्तियाज़ की ह्त्या कर दी जाती है और मामला रफ़ा-दफ़ा के क़रीब हो जाता है । तारीख़-पर-तारीख़ ….. नतीज़ा बेअसर, क्योंकि हत्यारे लखनऊ-दिल्ली तक पहुँच रखते हैं । अब, एक साल बाद रेणुकूट नगर-पंचायत अध्यक्ष की भी ह्त्या हो जाती है और इस मामले पर भी लीपा-पोती होना तय माना जा रहा है । यहां ध्यान देने लायक बात ये है कि दोनों नगराध्यक्ष निर्दलीय थे । यानि अपने बूते नगर के प्रथम नागरिक बने थे , जो राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को बहुत रास नहीं आ रहा था । लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय इन दोनों अध्यक्षों की ह्त्या के बाद लोग ताने मार रहे हैं कि …. वाह रे योगी सरकार ….. नगर के प्रथम नागरिक की ह्त्या करना भी अब आसान हो गया । सोनभद्र जिले में लगातार ताबड़-तोड़ हत्याओं के बारे में योगी जी को मालूम न हो , ऐसा हो नहीं सकता …. हत्यारे कौन हैं , ये पुलिस को मालूम नहीं …. ये भी हो नहीं सकता .. तो फ़िर एक सवाल कि आख़िर हो क्या सकता है ? जवाब यही उभर कर आता है कि ….. हत्यारों को बचाने का प्रयास हो सकता है ।
अब सवाल ये है कि सोनभद्र जिले में ह्त्या को मामूली अपराध समझ कर अंजाम देने वालों में किन-किन लोगों का हाथ है और क्यों है ? दिल्ली और लखनऊ में बैठा कौन सा नेता इनकी रहनुमाई कर रहा है ? इन बातों का पता आज तक नहीं लग पाया , क्यों ? छोटी सी एक चोरी करने वाले आदमी को जेल में ठूंस कर उस पर लात-घूंसों का प्रहार कर अपनी बहादुरी दिखलाने वाली यू.पी. पुलिस इतनी लाचार क्यों ? ग़रीब और लाचार आदमी पर अपनी मर्दानगी दिखाने वाली यू.पी. पुलिस के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी है जो अपराधियों पर हाथ डालने से रोक रही है ? क्या नगर के प्रथम नागरिक तक की सुरक्षा करने में सरकार असमर्थ है ? अग़र ऐसा है तो फ़िर आम आदमी की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी है ?
एक कहावत है कि सत्ता बड़ी बेरहम होती है और प्रशासन इन बेरहम हाथों का ग़ुलाम ….. मोदी जी और योगी जी या उनके आला हुक्मरानों को इसका एहसास न हो तो वो उत्तर-प्रदेश के सोनभद्र जिले में चले आएं , जहां 2-3 सालों में दो-दो नगराध्यक्ष सहित न जाने कितने लोग मौत के घाट उतार दिए गए और शासन-प्रशासन कान में रूई ठूंस कर सोया रहा । समाजवादी पार्टी और बसपा को पानी पी-पी कर कोसने वाली भाजपा ऐसी निकलेगी , लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन अब हक़ीक़त में देख रहे हैं । उम्मीद से उलट, मोदी जी और योगी जी अपने प्रचार-मात्र की बदौलत सत्ता में बने रहना चाहते हैं और बाहुबलियों पर शिकंजा कसने में असमर्थ है तो ये बात अलग है । आराम से सत्ता का मज़ा लूटें, ये उनकी अपनी सोच हो सकती है । लेकिन चंद मीडिया के सहारे फ़िर झूठे नारे मत दें और आम जनता को मूर्ख न बनाएं कि …. ये सरकार आम आदमी की है, आम आदमी के लिए है ।
दिल्ली में बैठे प्रधानमंत्री मोदी जी और लखनऊ में बैठे मुख्यमंत्री योगी जी को लगता है कि मीडिया के लोगों को अपने साथ मिलाकर देश-प्रदेश जनता को फुसलाया जा सकता है .. लेकिन ये पूरा सच नहीं है … हो सकता हो कि 2014 से लेकर 2019 तक चले इस प्रयोग में मोदी जी को सफ़लता भी मिली हो और इसी भरोसे योगी जी को कुर्सी भी … ऐसे में अगर मोदी जी या योगी जी ये सोच बैठे हों कि मीडिया उनका मोहरा है, तो ऐसी ग़लतफ़हमी से ऊपरवाला इन्हें दूर रखे ….. क्योंकि मोदी जी व् योगी जी को पता होना चाहिए कि विज्ञापन और पैसे का लालची मीडिया …. ताक़त के साथ रहना पसंद करता है । आज भाजपा तो कल सपा तो परसों बसपा तो फ़िर कभी कॉंग्रेस । सत्ता के साथ गलबहियां , मीडिया के अपने नफ़ा-नुक़सान पर निर्भर है । दिल्ली की छोटी-छोटी ख़बरों पर घंटों भोंपू बजाने और राष्ट्रीय कहा जाने वाला स्वयंभू मीडिया दिल्ली और NCR तक सीमित है जिसके लिए सोनभद्र या भारत के दूर-दराज़ इलाके में घटने वाली जघन्य हत्याएं एक मामूली सी ख़बर है ।
आम आदमी, इन ‘स्वघोषित राष्ट्रीय टी.वी.’ चैनल्स को वास्तव में राष्ट्रीय ख़बरों को प्रसारित करने वाला संचार माध्यम समझता है, लेकिन ये स्वघोषित राष्ट्रीय टी.वी. दिल्ली-NCR के बाहर की खबरों को ज़्यादा नहीं दिखाते, क्योंकि इनका मानना है कि दिल्ली-NCR में रहने वाले इंसान के लिए ही हक़ की लड़ाई लम्बी और बुलंद आवाज़ में आक्रामक तरीक़े से होनी चाहिए और हिन्दुस्तान के बाकी जगहों के बारे में खानापूर्ति काफ़ी है, जब तक इन छोटी जगहों पर बड़ा नेता न जाता हो ।
मीडिया के चरित्र को अपने महिमामंडन के लिए इस्तेमाल करने वाले मोदी जी-योगी जी को समझ में आना चाहिए कि हिन्दुस्तान , दिल्ली या लखनऊ के अंदर बैठे कुछ पैसे वालों या क़त्ल करने वालों की रहनुमाई करने वाले लोगों की एक बस्ती नहीं है, बल्कि ये बहुत बड़ा और पुराना मुल्क़ है जहां रेणुकूट और सोनभद्र जैसे अनगिनत इलाक़े हैं ….. जहां बहुत गरीबी है , जहां रोटी महंगी सी लगती है और मौत सस्ती । आज आलम ये है कि बुनियादी तौर पर हिन्दुस्तान ऐसा मुल्क़ बनने के क़गार पर है जहां के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सतही तौर पर देश की जनता को रोटी-कपड़ा और मक़ान के साथ सुरक्षा देने का वादा करते तो हैं मग़र होता ये है कि नगर का ‘प्रथम नागरिक’ भी सुरक्षित नहीं । पिछले एक साल के अंदर कई हत्याओं के साथ सोनभद्र जिले के दो रेणुकूट और चोपन नगर पंचायतों के अध्यक्षों की ह्त्या तो कम से कम यही बताती है ।
उत्तर-प्रदेश के वज़ीरेआलम योगी आदित्य नाथ जी को ये समझ में आना चाहिए कि लोकतंत्र का बुनियादी उसूल है कि सत्ता …. अपराधियों का गिरेबाँ पकड़े , हत्यारों की गर्दन तक अपने हाथ पहुंचाए …. मग़र जब सत्ता अपराधियों और क़त्ल के रहनुमाओं के साथ गलबहियां कर बैठे तो यकीं मानिये , लोकतंत्र …. कुछ पैसे वालों या क़त्ल करने वालों की रहनुमाई करने वाले लोगों की एक बस्ती से ज़्यादा और कुछ नहीं ।
कमलेश ‘युवा’
सीनियर कॉरेस्पॉन्डेंट
‘इस वक़्त’
nice Information thanks