मुंबई । पुलिस कस्टडी में मौत ! आज़ादी के बाद से एक बड़ी प्रशासनिक समस्या । पुलिस रिफॉर्म के अभाव में एक बड़ी चिंता का विषय ।
विजय सिंह की मौत से ये सवाल फ़िर से जूनूनी बन गया है । जी हाँ, देश की आर्थिक राजधानी ,मुंबई, के ‘ख़तरनाक़’ वडाला टी.टी.पुलिस स्टेशन में पुलिस की प्रताड़ना से 25 वर्षीय युवा विजय सिंह की (पुलिस स्टेशन में) हुई मौत से बवाल मच गया है । इस युवक की मौत ने “पुलिस कस्टडी में मौत” पर बहस को एक बार फ़िर से तेज़ कर दिया है । पुलिस कस्टडी में हुई इस मौत के मद्देनज़र, मुंबई में, जगह-जगह पुलिस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और (पूरे देश में) सोशल मीडया पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं ।
पूरी दुनिया में अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवाने वाली मुंबई पुलिस के ज़्यादातर निष्ठावान, संवेदनशील और ईमानदार पुलिस अधिकारियों-पुलिसकर्मियों पर किसी को कोई शक़ नहीं है, लेकिन सच ये भी है कि आर्थिक राजधानी के पुलिस विभाग में मौजूद कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने मुंबई पुलिस की साख़ पर बट्टा लगाने में कोई क़सर नहीं छोड़ा है । ये भ्रष्ट पुलिस अधिकारी किसी DON से कम नहीं, जिनका ख़ौफ़, अपराधियों पर नहीं बल्कि आम लोगों के, सर चढ़ कर बोलता है । ये किसी को भी थाने लाते हैं , थर्ड डिग्री के नाम पर, जी भर कर कूटते हैं और अधमरा तक कर देते हैं । अधमरा आदमी जब मर जाता है तो ये DON-नुमा भ्र्ष्ट पुलिस अधिकारी क़ानून को अपनी जागीर समझ कर पल्ला झाड़ लेते हैं । विजय सिंह की मौत की कहानी तो, कम-से-कम, यही बताती है ।
आइये डालते हैं विजय सिंह की मौत पर एक नज़र ….. दीपावली की रात 27 अक्टूबर 2019 को रात 11 बजे, एक फ़ार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रेज़ेंटेटिव (सायन,कोलीवाड़ा निवासी) विजय सिंह, अपनी होने वाली बीवी से बात करने के लिए, अपने दो चचेरे भाइयों संग घर से कुछ दूर (वडाला ट्रक टर्मिनल ) आया । यहां उसने अपनी बाइक खड़ी की तो सामने एक जोड़ा बैठा हुआ था जिसके ऊपर विजय के बाइक की लाइट, अनजाने में, चली गयी । लाइट चेहरे पर जाने के बाद उस लड़के ने विजय सिंह को गाली दी और थोड़ी बहस चालू हो गयी । उस लड़के ने अपने 2 दोस्तों को बुला लिया और बात बढ़ गयी ।
मौक़े पर जब पुलिस पहुँची तो, उस लड़के के साथ बैठी, लड़की ने बस ये बोल दिया कि “ये तीनों लड़के ( विजय और उसके दोनों चचेरे भाई ) मुझे छेड़ रहे थे” । इतना सुनते ही पुलिस ने किसी डिटेल् जानकारी लिए बिना, विजय ओर उसके दोस्तों को, मारा । फ़िर पुलिस मारते मारते विजय सिंह और उसके साथ वालो को पुलिस चौकी ले गयी और अलग अलग लॉकअप में डाल दिया । विजय सिंह को हाथ-पैर के साथ सीने पर भी मारा । यहां तक कि उनमें से एक लड़के ने पुलिस चौकी में ये तक कहा कि “तुम लोग को इधर ही खत्म कर दूंगा” ….. लेकिन बावज़ूद इसके पुलिस ने किसी तरह की आपत्ति दर्ज़ नहीं की ।
रात 2.30 बजे विजय सिंह ने पुलिस स्टाफ से कहा कि “मुझे सीने में दर्द हो रहा है और पानी दे दो पीने के लिए” लेकिन स्टाफ ने पानी नही दिया । चौकी पहुंचे विजय के घर-परिवार वालों के साथ भीपुलिस ने गाली-गलौज और अभद्रता की । ‘वडाला ट्रक टर्मिनल पुलिस स्टेशन’ के ‘रक्षक’ पुलिसकर्मियों का भक्षक एपिसोड चालू था । गाली-गलौज , मारपीट के सिलसिले के बाद जब विजय बेहोश हो गया तो उसे (पुलिस कस्टडी में) लॉकअप से बाहर निकाला गया और लिटाया गया । लेकिन देर हो चुकी थी । पुलिस ने ज़िंदा विजय को, मार-मार कर, लाश में तब्दील कर दिया था । मतलब, विजय को, जब उसे घरवालों को सौंपा गया गया तो विजय दम तोड़ चुका था ।
मुंबई का ‘वडाला ट्रक टर्मिनल पुलिस स्टेशन’ बड़ा बदनाम है । कहते हैं कि यहाँ ज़्यादातर वर्दीधारी ख़ौफ़ का दूसरा नाम होते हैं । लेकिन यहां ध्यान देने लायक़ बात ये है कि ख़ौफ़, अपराधियों के मन में नहीं बल्कि स्थानीय आम-आदमी के मन में है कि पता नहीं ‘वडाला ट्रक टर्मिनल पुलिस स्टेशन’ वाले कब किस विजय को ज़िंदा ले जाएं और मार-मार कर मुर्दा बना कर वापिस कर दें ।
मतलब कहानी ये है कि पुलिस माई-बाप है और क़ानून पुलिसवाले की जेब में । ‘जेब में’ का मतलब कि क़ानून पुलिस वाले की मर्ज़ी से बनता और बिगड़ता है । किसी तरह का कोई नियम-क़ानून नहीं है पुलिसवालों पर । जान लेने का अधिकार किसी को नहीं और जान लेने वालों को पुलिस बख़्शती भी नहीं । लेकिन पुलिस कस्टडी में हुई मौत के ज़िम्मेदार पुलिस वालों को सज़ा भी नहीं । ऐसे में सवाल उठता है कि विजय सिंह जैसों की पुलिस कस्टडी में हुई मौत का ज़िम्मेदार सम्बंधित पुलिस अधिकारी नहीं तो और कौन है ? विजय सिंह को कूट-कूट कर मार डालने वाले ‘वडाला ट्रक टर्मिनल पुलिस स्टेशन’ के पुलिसकर्मियों को सज़ा देगा कौन ?
मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तर भारतीय संघ युवा मोर्चा, मुंबई के अध्यक्ष संजय सिंह ने पीड़ित परिवार से मुलाक़ात कर उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया । बाद में संघ की ओर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ज्ञापन दिया गया और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही की मांग की गयी । संजय सिंह ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही से पुलिस महक़मे में भी क़ानून का सम्मान करने और क़ानून की हद में रहते हुए काम करने का सन्देश जाएगा ताकि भविष्य में ऐसे पुलिसिया ‘आतंक’ से , विजय सिंह जैसे, किसी आम आदमी को अपनी जान ना खोना पड़े । यक़ीनन, पुलिस कस्टडी में (पूरे देश में) मरने वाले कई लोगों में से एक विजय सिंह की मौत हमारे पुलिसिया विभाग पर कई सवाल उठाती है और विजय सिंह की मौत के ज़रिये फ़िर उसी बहस को सामने लाती है , जिसके तहत पुलिस रिफॉर्म लागू हो ।
पुलिस रक्षक की बजाय भक्षक या DON बनने की कोशिश न करे ।
कमलेश ‘युवा’
ब्यूरो चीफ़, मुंबई
‘इस वक़्त’
Vijay Singh family should get justice…. We expect our government should look into this matter very seriously so that such Incidents will not be repeated again.. May God bless his family and give enough strength to heal this very sad moment.
Inquiry has to done properly to make sure guilty police staff should get punishment under law….